मंगलवार, 22 नवंबर 2011

शोषक भैया

अज्ञेय की एक कविता

शोषक भैया

शोषक भैया !
पी लो
मेरा रक्त मीठा है,
 ताज़ा है,
सुहृद है

 पी लो शोषक भैया

मै कुछ न कहूँगा
पी लो,
लेकिन तुम अपना मेदा देखो

क्योंकि उसका क्या करोगे
कि तुम्हारा और मेरा जो सम्बन्ध है
वही तुम्हारा काल है.

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