गुरुवार, 12 अगस्त 2010

कविता पर बहस शुरू करो

क्योंकि कविता अब उतनी ही देर सुरक्षित है
जितनी देर कसाई के ठीहे और गंड़ासे  के बीच
बोटी ,
 इसलिए कविता पर बहस शुरू करो और
 शहर को अपनी तरफ घुमा लो!
                                   सुदामा पाण्डेय धूमिल