मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

cinema is not an entertainment

I am totally agree with Tarkovaski that cinema is not for entertainment. In his words -''I am clearly against with the concept of entertainment in cinema. Its shameful for both audience and the creator!'

रूस के महान फ़िल्मकार तारकोवस्की कहते हैं  कि "मै स्पष्टतया सिनेमा में मनोरंजन के खिलाफ हूँ . वह सर्जक के लिए भी और दर्शक के लिए भी सामान रूप से निंदनीय है."

मै तारकोवस्की  से पूर्णतया सहमत हूँ . 

आपका क्या कहना है????

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

गजानन माधव मुक्तिबोध और सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय

मै  कवि  हूँ 
द्रष्टा  
उन्मेष्टा
मै सच लिखता हूँ 
लिख लिख कर सच झूठा  करता जाता हूँ 

तू काव्य 
सदा वेष्टित यथार्थ 
तू चिर नूतन 
तू छलता है 
पर हर छल में 
तू और अनूठा होता जाता है .

अज्ञेय की कविता "ओ निः संग ममेतर से",  याद से उकेर रहा हूँ, गलत भी हो सकता हूँ . इन पंक्तियों को वर्षों मंत्र की तरह दोहराया है. सच्चिदानंद हीरानंद  वात्स्यायन अज्ञेय  से मैंने करूणा और प्रेम का स्वर  सीखा है. पता नहीं कितना क्या सीखा है मगर खूब गाया है और मुक्तिबोध से सीखा है सत्य और अनुसन्धान, वस्तुतः  मुक्तिबोध को जपा है !

दुनिया न कचरे का ढेर कि जिसपर
 दानों को चुगने चढ़ा
 कोई भी कुक्कुट
 कोई भी मुर्गा
 बाँग दे उठे जोरदार
 बन जाये मसीहा ! 

मुक्तिबोध की कविता "अँधेरे में"  से .

गजानन माधव मुक्तिबोध और  सच्चिदानंद हीरानंद  वात्स्यायन अज्ञेय इन दो महा कवियों ने अपने नाम के अनुकूल ही प्रदीर्घ साहित्य सृजन किया और हिन्दी भाषा को विश्व स्तर  की भाषा बना दिया.  आज कृतज्ञता  वश दोनों महान सर्जकों को नमन! 

डॉक्टर  अनुपम ओझा 

Ek ekala sher

बदले हुए रंग से मै दंग रह गया 
संग हाथ में था मगर संग रह गया .


रविवार, 17 अप्रैल 2011

तुम और मैं

तुम और मैं

शक्ति हो तुम शव हूँ 

भक्ति हो तुम भव हूँ 

भाव हो तुम अक्षर हूँ 

अर्थ हो तुम रव हूँ 

शक्ति हो तुम शव हूँ .



शनिवार, 16 अप्रैल 2011

पृथ्वी / Prithvee/

पृथ्वी 

किसी ग्रह से साधकर फेंका गया हैण्ड ग्रेनेड है पृथ्वी 
जो जरा से चूक से 
सूरज के चक्कर में उलझ  गई 
चक्कर लगाती रही और अजीब हो गई;
ऊपर नदियाँ बह रही हैं 
भीतर आग जल रही है
चट्टानें पिघल रही हैं 

कभी तो  पलक भर की चूक होगी 
और 
सूरज से छूटकर उस लक्ष्य ग्रह से जा 
टकराएगी ?

अब यह नहीं जाएगी 
क्योंकि टेररिस्ट पृथ्वी 
माँ बन गई है 
असंख्य जीवों की.

पृथ्वी

 किसी दिन            
केरोसिन में भीगे
 चिथड़े की गेंद सी            
भक से जल जाएगी पृथ्वी ।

2
कहाँ
किस ग्रह पर
 ले जाकर
 धो लाऊँ
पृथ्वी को

3
प्लास्टिक ,पेट्रोल ,काँच ,केमिकल और परमाणु बम
इतने पर भी किस उम्मीद में अटका है तेरा दम ?

4
सौ साल में
पृथ्वी एक्सपायर्
हो जाएगी
मैं खुश हूँ
पृथ्वी पीड़ा मुक्त हो जाएगी
सुख की नींद सो जाएगी ।

5
स्वर्ग में
 मैं पृथ्वी से मिलूंगा
 उसे अपने नये ग्रह पर
बुलाऊंगा
 उसके समापन की कहानियाँ सुनाउंगा
उसे नाश्ते में
पेट्रोल पिलाउंगा
प्लास्टिक खिलाउंगा ।

6
महावराह
अगर पूछेंगे कि क्या किया
उनकी बेटी पृथ्वी का?
तो मैं क्या कहूँगा?
इस से पहले कि दहेज दाह का केस बने
 मैं पृथ्वी का
 प्रवाह कर दूंगा ।

7
लट्टू के गूँज सा
नोक पर संगेमरमरी चमक
सबसे ऊँचा
सबसे ज्यादा जगह जिसमें
आकाश घेरता है
पृथ्वी! एक नन्हा कण ही तो है;
आकाशीय तनाव का
एक क्षण ही तो है ।

अनुपम

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

अन्ना तो गांधी की वापसी है...

एक बूढ़ा आदमी है देश में या यों कहो
इस अँधेरी कोठारी में एक रोशनदान है !

दुष्यंत की इन पंक्तियों के साथ मै अन्ना हजारे के साथ हूँ. देश उनके साथ है. अरेबियन देशों के बाद एशिया में बड़ी क्रांति का बिगुल इन्होने फूंका है. यह गाँधी और सुभाष की सम्मिलित वापसी है. मै अमिताभ बच्चन से भिन्न अपने समर्थन का खुला प्रदर्शन करने में विश्वास रखता हूँ .

यहाँ तक आते आते सूख  जातीं हैं कई नदियाँ
हमें मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा .

इस ठहरे हुए पानी या महा भ्रष्टाचार का किला तोड़ने में हर आमो खास अन्ना के साथ है.
उनके स्वास्थ्य के लिए शुभकामनायें.