सोमवार, 3 जनवरी 2011

(Teen tasveeren) तीन तस्वीरें


तीन तस्वीरें
बोटिंग वाली तुम्हारी तस्वीर में
जिस में तुम सीधे कैमरे में देख रही हो
सधी हुई फिलोसोफर मुद्रा में
तुम्हे देख कर अनायास विवेकानंद याद आते हैं
लड़की! तुम में एक पौरुष है
कुछ कर गुजरने का अदम्य बल है
अध्ययन के जल से धुली तुम्हारी आँखें
निश्छल हैं;
जो
उचाईयां तुम्हे छूना है
उनकी गहराइयाँ
तुम्हारी आँखों से छलकती रहती हैं .

और
ठीक अगली तस्वीर में
बोट के किनारे से झुक कर
दाहिनी हथेली में जल उठाए
तुम एक शानदार सुन्दरी हो
गीत का गुलाबी मुखड़ा हो !

तीसरी तस्वीर में
तुम तट पर हो
जिस पेड़ के से दृढ़ता से पीठ टिकाकर खड़ी हो;
तुम्हारे पास से वह नदी बह रही है
जो झील को जल देती है,
वह नदी तुम हो
वह दृढ़ पेड़ मै हूँ .

वह झील मै हूँ
तुम्हारी नाव जिसमें निः शब्द तैर रही थी
वह जल मै हूँ
जिसे तुमने आचमन के लिए होठ जैसी
हथेली में उठाया है !

रिश्ते धूल खा गए
पहचानें पुरानी पड़ गईं
तस्वीरें नई हैं, ताज़ा हैं

हम कल मिले थे
जो सदियों पहले कहीं है
ये तुम्हारी तीन तस्वीरें आज हैं !
आज भी तरोताजा !
जल, फूल, पेड़, माटी और इंसान की तरह
अच्छा लगा तुम्हे देख कर..