मंगलवार, 24 मई 2011

एक अधूरा गीत ..


एक अधूरा गीत ..
मै जिए जा रहा हूँ अलग किस्म की तरह
देखा ही नहीं तुमको कभी जिस्म की तरह. 

तौला ही नहीं तुझको कभी मोल की तरह
दिल में सम्हाल रक्खा है अनमोल की तरह 
परखा ही नहीं तुमको कभी वक़्त की तरह
महसूस किया है हमेशा रक्त की तरह.

मै जिए जा रहा हूँ अलग किस्म की तरह..

सोमवार, 16 मई 2011

कलाकार की आत्मा


कलाकार की आत्मा 
अनुपम 
सोचता था एक और जन्म लूं 
क्योंकि यह तो खुद को समझाने में निकल गया 
जब नजर खुली
 दिन ढल गया;

सोचा फिर खुले दिमाग से -
नजर तो खुली ,
जो अगले जनम में वो अभी क्यों नहीं ?
और यों हमने
 ढलते दिन को थाम लिया!

चालीस तक
खिलाड़ी और सैनिक की उम्र 
समाप्त हो जाती है 

पैतीस से चालीस के बीच पक्का होता है 
एक कलाकार.

गुरुवार, 5 मई 2011

लेखक नहीं है का विधवा विलाप

लेखक नहीं है का विधवा विलाप छोड़कर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री  को  लेखक को पहचानना सीखना चाहिए. लेखक शब्द को इज्जत देना सीखना चाहिए. गोविन्द निहलानी कहते हैं कि 'मेरे लिए लेखक सर्वाधिक महत्वपूर्ण है' और वे लेखक तक खुद चलकर जाते हैं.
 लेखक तक जाने के लिए लेखक को जानना होगा. जानने के लिए पढना होगा.पढने के लिए कम से कम  हिंदी पढना सीखना होगा.
 आमिर खान हिदी में ही हिंदी फिल्म की पटकथा पढ़ते हैं. कुछ वर्ष पहले ही उन्होंने सीखा है और अब अधिकार रखते हैं.
लेखक को पटकथा लेखक में बदलने में एक थोडा सा सहयोग गुलज़ार और कमलेश्वर जैसे टैलेंट देता है.

फिल्म इंडस्ट्री को लेखको को  पटकथा लेखक में बदलने की फैक्ट्री डालनी चाहिए.
 क्या कहते हैं आप?

सोमवार, 2 मई 2011

Bhojpur ई ह भोजपुर

ई ह भोजपुर के धनहा पवन बबुआ! दम भरी ल करेजा जुडा जाई
माटी के गमक से गमक जइबा ! जिन्दगी के हकीक़त बुझा जाई .

कतहूँ छाती भिडावेला पाहिले
 शान पट्टी देखावेला पहिले
ई उमड़ल जवानी के तूफ़ान ह आपन अंचरा सम्हार उधिया जाई.

अस्सी बरीस के तमकल जवानी 
बीर कुअंर सिंह भोजपुरिहा के कहानी 
ई फिरंगियन के पानी पिअवलस ई उ न ह जे चुहानी लुका जाई.

ई ह लोरिक भीखारी के धरती 
एकरा नस नस में रस कस दरदिया 
ई ह पौरूस आ प्रेम के कहानी तनिका छुअब त तार झान्ह्जना जाई.

प्रभु राम एइजा ज्ञान लेबे अइले 
विश्वामित्र जी के चेला कहइले 
विस्मिल्लाह के सुन के शहनाई तोहर तन मन के भेद बिसरा जाई.

इ तपस्या के धरती ह बबुआ 
तपसी चरनन से कन कन सनाइल 
आग चन्दन इ दुनो उगावे तनिका कोडब त पानी भेंटा जाई.


काहे लहकत बा खेतवा बधरवा 
काहें मइल बा माई के अंचरवा 
अपना मन के अंजोरिया जगाव भोरहरिये अन्हरिया ओऱा जाई.

गुरु श्याम जी के मान कहनवा
आपन मनवा सम्हार ए धनवा 
अपना धरती के नेह से निहार तोहर कोठिला कोठार जगमगा जाई.