मंगलवार, 13 मार्च 2012

मै प्रसिद्ध आदमी हूँ

कुमार गन्धर्व के शिष्य और अद्भुत गायक डॉ. परमानन्द जी परसों मेरे घर आये थे. कुछ बंदिशें और गीत के टुकड़े सुनाने के क्रम में उन्होंने एक बीस पच्चीस साल पुराने गीत का मुखड़ा सुनाया तो मै चौक गया. वह मेरे ही एक गीत का मुखड़ा था जिसके लेखक का नाम वे नहीं जानते थे. उन्होंने कहा कि 'आपको अनुमान नहीं होगा की कितने लोगों को ये पंक्तियाँ मै एस एम् एस कर चुका हूँ!'  मै प्रसिद्ध आदमी हूँ , मुझे ऐसा अहसास हुआ. अब परमानन्द जी के पास पूरा गीत है जो उनके अगले अलबम में आएगा. फ़िलहाल आप भी मुखड़ा देख्निये -
किस कंधे पर सिर रक्खूं मै, हर कंधे का जख्म हरा है 
किस से मन को बात कहूँ मै, सबका मन बिखरा-बिखरा है. 
शुभ दिन.