सोमवार, 2 अगस्त 2010

चींटियाँ ....

                                                                          चींटियाँ .....
.चींटियों ने पहले समझा की बचे रहना है पृथ्वी पर तो अपना घर बचाए रहना होगा 
बाबी के ऊपर आदमी ने घर बना लिया तो भी 
घर अपना छोड़ नहीं देना होगा ;
आदमी के जीने में अपना जीना बचाए रखना होगा!

बड़ा से बड़ा जलप्रलय पार किया जा सकता है, अगर 
गुथंगुथा होकर गेंद बन जाया जाये --
 चींटियाँ बुद्धिमान हैं !

इतने से भेजे से कितना सोच लेती हैं ! 


घर से निकल आये थे घर बना लिया
इस शहर को अपना शहर बना लिया .