सोमवार, 7 नवंबर 2011

बुद्ध का घर

अगर मै मिट भी गया तो क्या बुरा है 
मेरे जैसों का यही हश्र होता है.
जबतक जिन्दा है सब वाह कहते है
हमारे मरने पर खूब जश्न होता है.
बड़े आदर्श पाले हो महाशय
इन्ही से आपका घर नष्ट होता है.
अंधेरो को हमेशा ही रौशनी की 
लहर से कष्ट होता है.
दिया अपना बुझा लो, अब दिये से
बुद्ध का घर भ्रष्ट होता है.

अनुपम 

जानदार लोगों की जरूरत होती है शानदार काम करने के लिए.


निर्देशक की डायरी १८ 
जानदार लोगों की जरूरत होती है शानदार काम करने के लिए.  

अनुपम 

कोई एक्टर जब फिल्म लोक में पैर रखता है तो उसे प्रोफेसनल बनाया जाता है और जब कोई स्क्रिप्ट यहाँ लेकर पहुंचता है तो उसे कमर्शियल बनाया जाता है. दोनों का एक ही मतलब है - भ्रष्ट करना. आज तो भ्रष्ट होना जैसे नैतिकता हो गई है. ऐसे में मै अकेला आदमी हूँ जो सिनेमा से कला की उम्मीद कर रहा है. फिल्म इंडस्ट्री भ्रष्ट आचार में लालू के बिहार की स्थिति में है. ऐसे में ढेर सारे नितीश कुमारों की आवश्यकता है. सहयोगी साथी मिले तो फिल्मे भी बनेंगी. वैसे तो यहाँ गली गली कास्टिंग काउच और कमर्शियल वाउच फैले हुए हैं.
अनचाहे समझौते आपकी आत्मा को क्षीण कर देते हैं. सपोज - एक लड़की एक्टर है लेकिन काम पाने के लिए जिस तिस के साथ सो जाये, तो आधी तो वही ख़त्म हो जायेगी.  स्क्रिप्ट के साथ भी ऐसा ही होता है. उसके साथ प्रोड्यूसर सोता है. पैसा उसकी ताक़त है. 
साहेबान, पैसे के जोर से बनने वाले सिनेमा से अलग हटना होगा एक दर्शक के रूप में भी और एक निर्माता के रूप में भी. 
सिर्फ रोजी रोटी से संतुष्ट हो जाने वाले लोगों से यह काम नहीं होगा. जानदार लोगों की जरूरत होती है शानदार काम करने के लिए.