गुरुवार, 10 नवंबर 2011

चार पंक्तियाँ


चार पंक्तियाँ 
भावनाओं का प्रदर्शन मत करो 
भेड़ियों के बीच भासन मत करो.

रौशनी को थाम लो और वक़्त को 
रणभूमियों में बज्र आसन मत करो .

अनुपम