बुधवार, 18 अप्रैल 2012

दो सपनो के बीच / मुक्त छंद


दो सपनो के बीच 
अनुपम 
मै एक सपने से दूसरे सपने की यात्रा करता हूँ
दो सपनो के बीच खाइयाँ होती है
घाटियाँ होती हैं,
गहराइयाँ होती हैं.
मै उन घाटियों में गिर जाता हूँ
मर जाता हूँ. 
और अगले सपने के पंखों पर 
अग्नि अक्षर लिख रहा होता हूँ.

मै यात्रा करता हूँ -
एक विचार से दूसरे विचार तक.

तुमने इतनी बार कहा कि
मै तुम्हारे सपनों का हिस्सा नहीं !
कि सोचने लगा - सचाई का हिस्सा तो नहीं !

लेकिन 
मै तो 
 एक सपने से दूसरे सपने की यात्रा करता हूँ ...