गुरुवार, 19 अगस्त 2010

vichar

ज्ञान विज्ञान को संस्कृत से जन भाषा में ले  आने  वाले कुछ मध्यकालीन कवियों के ख़याल ---

देसिल बयना  सब जन मिठ्ठा
ते तैसिय जम्पओं  अवहट्टा .( संभवतः - विद्यापति )

भाखा बहता नीर है संस्कृत कूप समान !  (कबीर)

पाओस आल ..

पाओस आल ....

जाल खोलते हैं मछुआरे
 पाल खोलते हैं मछुआरे
पहली मछली की तड़पन से साल खोलते है मछुआरे !

बीज ढो रहे हैं बनिहारे
बीज बो रहे है बनिहारे
इस मौसम में किस मौसम के बीज हो रहे हैं बनिहारे ?

घास गढ़ रहे हैं घसियारे
घास पढ़ रहे हैं घसियारे 
बरसा से सरसी धरती कि साँस पढ़ रहे है घसियारे .....

पाल खोलते हैं मछुआरे