बुधवार, 11 जनवरी 2012

प्रेम का मार्ग .. घनानंद



मै घनानंद से सहमत हूँ. प्रेम में चालाकी नहीं चलती. यानि चालाक लोग और चाहे जो करते हों, उन्हें प्रेम का स्वाद नहीं मिलता है.
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तहं साँची चले तजि आपुन पौ 
झाझके कपटी जे निसांक नहीं.

प्रेम के पथ में सिर्फ सच्चे लोग ही अपने अहं का त्याग कर चल पाते हैं. वह कपटी, धूर्त झिझकता है जिसका मन साफ़ नहीं होता.


अति सूधो सनेह को मारग है
जहाँ नैकु सयानप बांक नहीं.
तहं साँची चले तजि आपुन पौ
झाझके कपटी जे निसांक नहीं.
तुम कौन सी पाटी पढ़े हो लला
मन लेहु पै देहूं छटांक नहीं.
घन आनंद प्यारे सुजान सुनो
इत एक से दूसरो बांक नहीं.

अति सूधो सनेह को मारग है,  स्नेह का मार्ग सीधा है.
 घनानंद कहते हैं कि अत्यधिक चतुराई, चालाकी स्नेह को मार देती है. यहाँ तनिक भी सयानेपन कि नहीं चलती. सुजान, तुम प्रेम के किस स्कूल में पढ़ी हो कि मेरा मन ले लिया या मनो मन, सारा मन ले लिया और एक छटांक भी वापस नहीं करती हो. मेरी प्यारी सुजान सुनो, यहाँ, मेरे दिल में एक तुम्हारे सिवा किसी के लिए जगह नहीं है.