रविवार, 17 अक्तूबर 2010

kathopanishad

शून्य में से शून्य  निकालो तो शून्य बचता है, शून्य में शून्य डालो तो शून्य बचता है ... तो क्या चोरी या सीनाजोरी ? चुराने दीजिये चुराने वालों को. लेखन, सिनेमा, चित्र या कलाकर्म का आधारभूत उद्देश्य अपने और दूसरे की संवेदनाओं का विकास है. लिखना और सुनना और गुनना चलते रहना चाहिए! महत्वाकांक्षी लोग ही चोरी करते हैं, महत के आकांक्षी आगे बढ़ते हैं.
 एक और सृजनात्मक दिन के लिए शुभकामनाएं !