गुरुवार, 4 नवंबर 2010

Dushyant kumar ki ek gazalदुष्यंत कुमार की एक ग़ज़ल के कुछ शेर

दुष्यंत कुमार की एक ग़ज़ल के कुछ शेर

मत  कहो  आकाश  में कुहरा घना  है
यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है .

रक्त   वर्षों   से  नसों   में   खौलता  है
आप  कहते हैं   क्षणिक   उत्तेजना  है .

सूर्य हमने  भी  न  देखा  है  सुबह  से
क्या  करोगे  सूर्य  का  क्या देखना है.