गुरुवार, 5 मई 2011

लेखक नहीं है का विधवा विलाप

लेखक नहीं है का विधवा विलाप छोड़कर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री  को  लेखक को पहचानना सीखना चाहिए. लेखक शब्द को इज्जत देना सीखना चाहिए. गोविन्द निहलानी कहते हैं कि 'मेरे लिए लेखक सर्वाधिक महत्वपूर्ण है' और वे लेखक तक खुद चलकर जाते हैं.
 लेखक तक जाने के लिए लेखक को जानना होगा. जानने के लिए पढना होगा.पढने के लिए कम से कम  हिंदी पढना सीखना होगा.
 आमिर खान हिदी में ही हिंदी फिल्म की पटकथा पढ़ते हैं. कुछ वर्ष पहले ही उन्होंने सीखा है और अब अधिकार रखते हैं.
लेखक को पटकथा लेखक में बदलने में एक थोडा सा सहयोग गुलज़ार और कमलेश्वर जैसे टैलेंट देता है.

फिल्म इंडस्ट्री को लेखको को  पटकथा लेखक में बदलने की फैक्ट्री डालनी चाहिए.
 क्या कहते हैं आप?