शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

राग मार महंगाई २०१० ( इस राग का प्रहर निर्धारित नहीं है.)

राग मार महंगाई २०१०
 ( इस राग  का प्रहर निर्धारित नहीं है.)

प्रधानमंत्री जी! आप विश्व में आदृत
 अर्थशास्त्री हैं .!

सर्वग्य हैं.

अर्थग्य हैं-

बहुत गुप्त स्थान विशेषों में
 छुपा अर्थ भी
आपकी अति दूर धन-दृष्टि से छुपा नहीं रह सकता

उसे राजकोष में खींच लेने का तरीका भी
आप तुरत ही अविष्कार कर लेते हैं.
आप विज्ञान बुद्धि हैं !

आपसे ज्यादा किसको पता होगा भला कि आपके राज में
प्याज लहसुन सूंघना मोहाल है
बस घलुआ का अच्छा हाल है
उसका भाव जो बन गया.

मुझे अनुमान है कि आप जन- धन का
ऐसा नियोग
ऐसा निवेश करेंगे कि घुटन की अति होगी और
वैभव का आरम्भ होगा .

क्या मै पढ़ पा रहा हूँ आपकी प्रेरणाएं ?

भूख की तपन को बुझाइए या
इस आम मन को समझाइये
जो आपके महान अर्थाणु परीक्षण की आंच
में जल रहा है

इसमें न तो शिल्प है  न भाव है
यह तुकबंदी है
अभाव  है .


आप विश्व में आदृत
 अर्थशास्त्री हैं .