शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

अन्ना तो गांधी की वापसी है...

एक बूढ़ा आदमी है देश में या यों कहो
इस अँधेरी कोठारी में एक रोशनदान है !

दुष्यंत की इन पंक्तियों के साथ मै अन्ना हजारे के साथ हूँ. देश उनके साथ है. अरेबियन देशों के बाद एशिया में बड़ी क्रांति का बिगुल इन्होने फूंका है. यह गाँधी और सुभाष की सम्मिलित वापसी है. मै अमिताभ बच्चन से भिन्न अपने समर्थन का खुला प्रदर्शन करने में विश्वास रखता हूँ .

यहाँ तक आते आते सूख  जातीं हैं कई नदियाँ
हमें मालूम है पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा .

इस ठहरे हुए पानी या महा भ्रष्टाचार का किला तोड़ने में हर आमो खास अन्ना के साथ है.
उनके स्वास्थ्य के लिए शुभकामनायें.