शनिवार, 16 अप्रैल 2011

पृथ्वी / Prithvee/

पृथ्वी 

किसी ग्रह से साधकर फेंका गया हैण्ड ग्रेनेड है पृथ्वी 
जो जरा से चूक से 
सूरज के चक्कर में उलझ  गई 
चक्कर लगाती रही और अजीब हो गई;
ऊपर नदियाँ बह रही हैं 
भीतर आग जल रही है
चट्टानें पिघल रही हैं 

कभी तो  पलक भर की चूक होगी 
और 
सूरज से छूटकर उस लक्ष्य ग्रह से जा 
टकराएगी ?

अब यह नहीं जाएगी 
क्योंकि टेररिस्ट पृथ्वी 
माँ बन गई है 
असंख्य जीवों की.

पृथ्वी

 किसी दिन            
केरोसिन में भीगे
 चिथड़े की गेंद सी            
भक से जल जाएगी पृथ्वी ।

2
कहाँ
किस ग्रह पर
 ले जाकर
 धो लाऊँ
पृथ्वी को

3
प्लास्टिक ,पेट्रोल ,काँच ,केमिकल और परमाणु बम
इतने पर भी किस उम्मीद में अटका है तेरा दम ?

4
सौ साल में
पृथ्वी एक्सपायर्
हो जाएगी
मैं खुश हूँ
पृथ्वी पीड़ा मुक्त हो जाएगी
सुख की नींद सो जाएगी ।

5
स्वर्ग में
 मैं पृथ्वी से मिलूंगा
 उसे अपने नये ग्रह पर
बुलाऊंगा
 उसके समापन की कहानियाँ सुनाउंगा
उसे नाश्ते में
पेट्रोल पिलाउंगा
प्लास्टिक खिलाउंगा ।

6
महावराह
अगर पूछेंगे कि क्या किया
उनकी बेटी पृथ्वी का?
तो मैं क्या कहूँगा?
इस से पहले कि दहेज दाह का केस बने
 मैं पृथ्वी का
 प्रवाह कर दूंगा ।

7
लट्टू के गूँज सा
नोक पर संगेमरमरी चमक
सबसे ऊँचा
सबसे ज्यादा जगह जिसमें
आकाश घेरता है
पृथ्वी! एक नन्हा कण ही तो है;
आकाशीय तनाव का
एक क्षण ही तो है ।

अनुपम