मंगलवार, 10 अगस्त 2010

vichar

 हर लेखक के जीवन में एक दिन आता है जब वह खुद अपने को पहचान पाता है ,जब उसे अपना मुख्य विषय मिल जाता है .इस विषय के साथ उसे बाद में गद्दारी नहीं करनी चाहिए. सच्चा लेखक  अपने ह्रदय का आदेश मानते हुये विश्व मत का विरोध करने से कभी नहीं झिझकता. रसूल हमजातोव