शनिवार, 8 जनवरी 2011

बागी जी की एक ग़ज़ल के चंद शेर

आईने से मुकर गए साहेब
बात क्या थी की डर गए साहेब.
देश सेवा में जब से कूदे हैं
आप कितने संवर गए साहेब.
आप के दांत गिर गए जबसे
आप कितने सुधर गए साहेब.
जयप्रकाश बागी