शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

आइये कविता के उद्देश्य पर गंभीर हुआ जाए


अगर सच की रखवाली नहीं करनी हो तो मै कविता क्यों लिखूंगा? मै तो सच ही लिखूंगा. इतिहास गवाह है कि कविता में सच ही बचता है.
डॉ. अनुपम 

मांग के खईबो, मसीत में सोइबो 
काहू की बेटी से बेटा न ब्याहन.....
                    ( 'कवितावली'  )  
"मांग कर खाऊंगा, मस्जिद में सो लूँगा, किसी ब्रह्मण की बेटी से मुझे अपने बेटे की शादी नहीं करनी है, इसलिए जो लिखता हूँ, जिस भाषा में लिखता हूँ, वही और वैसे ही लिखूंगा. मै इन ब्राह्मणों ( ब्रह्म को जानने का दावा करने वालों , खेमेबाज विद्वानों ) के बताये रास्ते पर नहीं चलूँगा."?
तुलसीदास ने किस मनोदशा में ये बातें लिखी हैं ?
तुलसीदास की इस मनोदशा पर विचार किया जाये. ( इस पद को प्रकाशित करने के लिए मै कवितावली खोज रहा हूँ. किसी और मिल जाये तो प्रकाशित करें.)
आइये कविता के उद्देश्य पर गंभीर हुआ जाए.

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