मैं बिहार हूँ... दुनिया की अदालत में हाजिर -नाजिर...
मैं बिहार हूँ !
जहाँ सबसे अधिक बौद्ध 'विहार' बने
जिस जमीन के हर हिस्से पर बुद्ध के कदमों की छाप है
जहाँ बुद्ध ने सर्वाधिक चातुर्मास बिताये
जहाँ से सदियों पुरानी न्याय प्रणाली ने एक नया मोड़ लिया कि मारनेवाले से ज्यादा अधिकार बचाने वाले का होता है ;
(शिकारी देवदत्त को रक्षक सिध्दार्थ को घायल हंस लौटा देना पड़ा)
यही से न्याय और अहिंसा क उपदेश पूरी दुनिया में फैला !
मैं बिहार हूँ !
जहाँ सभ्यता की शुरूआत में श्रीराम महर्षि विश्वमित्र से विद्या लेने आये
जहाँ महर्षि विश्वमित्र के नेतृत्व में धरती पर पहला शोध- संस्थान स्थापित हुआ
जहाँ रावण का साम्राज्य सबसे पहले विस्थापित हुआ ( पूतना महाज्ञानी, महाराजा, महाबली,महाकवि दुष्ट रावण की जिला कलेक्टर थी )
जहाँ से नालंदा विश्वविद्यालय सदियों तक संसार में रोशनी क प्रसार करता रहा !
मैं बिहार हूँ ... करूणा की स्त्रोतस्विनी !
मेरी एक बेटी सीता है जो रावण की लंका में तबतक दुःख सहती रही जबतक राम के सैनिक सबकी मुक्ति के लिए नहीं आ गए.
मेरी एक बेटी सुजाता थी जिसने उपवासी सिध्दार्थ को खीर खिलाया ;मध्यम मार्ग सुझाया:
(वीणा के तारों को इतना मत खीचो की तार टूट जाएँ ; इतना ढीला भी मत छोडो की बजे ही नहीं !)
मेरी एक बेटी भारती महापंडित मंडन मिश्र की संगिनी थी
जिसने शंकराचार्य के शास्त्रार्थ के घमंड को तोड़ा था , उन्हें कल्याण - पथ पर मोड़ा था !
(मेरे पति को परास्त कर आप आधा ही जीते है श्रीमान ! यही उसने कहा था )
मैं बिहार हूँ !
प्रेम और भाईचारे का तरफदार!
इतिहास के गहरे अंधकार में मैंने ही पहली बार पौरुष को जाति-पांति से ऊपर स्थपित किया था
वीरत को सम्मानित किया था / अरे! मैंने ही तो अज्ञात कुलशील धीवर सुत कर्ण को अपना 'अंग'(राज्य) दिया था
गुण - कौशल को ताज पहनाया था / मैंने ही सबसे पहले इन्सान की कद्र की और संसार के इतिहस में पहली बार आम आदमी को राज्य का भागीदार बनाया / प्रजातंत्र का फॉर्मूला दिया; वैशाली गणराज्य बनाया !
मैं बिहार हूँ जिसने महावीर को पारसनाथ की पहाड़ियों में जन्म दिया
जहाँ सिक्खों के अंतिम गुरु गोविन्द सिंह जी पैदा हुये
मैं शेरशाह सूरी की भी माँ हूँ जिसके राज्य में घरों में ताला नहीं लगता था
जहाँ महात्मा गाँधी के विचारों के रूप में अहिंसा और रामराज्य ने एकसाथ पुनर्जन्म लिया
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मेरा एक बेटा कुंवर सिंह था जिसने फिरंगियों का रंग उड़ा दिया :
मैं बिहार हूँ जहाँ से जयप्रकाश नारायण ने सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया और
फिरंगी मानसिकता को जड़ से हिला दिया !
मैं बिहार हूँ जहाँ तीनों मौसम आते है;
जहाँ अब हर मौसम में शामिल रहता है पतझड़ !
मैं बिहार हूँ - फसलों के काटे जाने के बाद की उदास धरती !
मुझे अपने बेटों के चौड़े कन्धों और मजबूत इरादों का इंतजार है ; वे लौटें और मेरी गोद हरी बना दें !
मुझे धरती की सबसे सुंदर परी बना दें !
2 टिप्पणियां:
bahut sundar likha hai apne. Bahut bahut dhanyabad
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