शनिवार, 4 मई 2019

निर्देशक की डायरी 52
सिनेमा में स्कोप; गुरिल्ला फ़िल्म थियरी

मैं चाहता हूँ कि सिनेमा का विस्तार हो. इस समय से अधिक सिनेमा बनाना कभी आसान नहीं होगा और इस समय से ज्यादा उसका दुरुपयोग भी कभी नहीं हुआ था.
सिनेमा और हिन्दी के बीच, सिनेमा और हिन्दी की सखी भाषाओ के बीच मीठा सम्बन्ध बने. हिन्दी प्रदेश से जितना गम्भीर साहित्य लिखा जा रहा है, जितना उच्च रंगकर्म हो रहा है, संगीत और नृत्य में जो शास्त्रीयता और सम्मान है, वह हिन्दी प्रदेश से बनने वाली छोटी बड़ी फ़िल्मो में नदारद है.
तकनीक्, कन्टेन्ट का लचरपन है ही अव्यवसायिक होना सबसे बड़ा ड्राॅ बैक है. एक साल में हॉलीवुड जितनी फ़िल्मे बनाता है उससे ज्यादा पोस्टर हिन्दी प्रदेश से सोशल मीडिया पर अपलोड हो जाते हैं और अधिकांश प्रोजेक्ट लॉन्च भी नहीं होते हैं. इस तरह सिनेमा के बाजार में विश्वास खोया जा सकता है. हालाँकि अभी उसे पाया ही नहीं गया है तो उसे खोने का प्रश्न बेमानी है.
सिनेमा को गरिमा के साथ स्थापित करने के लिए बुद्धिमान लोगों को हाथ डालना होगा. ईतिहास गवाह है कि सिनेमा की स्थापना हमेशा संवेदनशील प्रतिभावान लोगों ने किया और  ब्यापार को नए आयामा दिए .
हॉलीवुड में 1916 में चार्ली चैपलीन ने आर्टिस्ट फ़ोरम बनाकर सिनेमा को बनियापा से बाहर खीचकर रास्ते पर ला दिया.
जबकि भारत में दादा साहेब फ़ालके ने अपने कुछ मित्रो के साथ 1913 में ही सिनेमा की शुरुआत एक सांस्कृतिक उपक्रम के रूप में कर के उसका मार्ग निर्धारित कर दिया था.
उस वक्त ब्रिटेन और अमेरिका जैसे स्वतन्त्र देशों में फ़िल्म निर्माण होता था. चैपलीन का जन्म ब्रिटेन में हुआ था और वे अमेरिकी फ़िल्म कंपनियों के लिए काम कर रहे थे. जबकि फालके एक ऐसे देश से थे जहाँ सिनेमा सिर्फ़ कुछ महानगरों में कुछ लोगों द्वारा देखा गया था.
बंगला में सिनेमा को सम्मान दिलाने वाले सभी बुद्धिजीवी जगत विख्यात हैं. सबको पता है कि तमिल्, तेलुगु,कन्नड़, उड़िया, असमिया, मराठी, बंगला सिनेमा को साहित्य, कला, संस्कृति से मजबूत गठबन्धन कराने वाले सुुबुद्ध लोग ही है.
तो हिन्दी में विलम्ब क्यों?
हिन्दी के कवियों, रंगकर्मियों, रंगकारो, संग तराशो, सिनेमा को एक ब्यवसायी सह कला के रूप में स्वीकारो.
जैसे फ़ल, सब्जी, अनाज के लिए क्षेत्रीय स्तर पर आत्म निर्भर हो, वैसे मन का भोजन भी उपजाओ.
गुरिल्ला सिनेमा बनाओ.
(कैसे बनाओ का जवाब जानने के लिए व्यक्तिगत सम्पर्क करें या गुरिल्ला सिनेमा पर निर्देशक की डायरी 1 से 3 तक देख लें )


अनुपम
3,5,2019,

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