शुक्रवार, 2 सितंबर 2011


उलाहना 
अब
अपरिचित होने की हद तक हम लोग 
संपर्क में नहीं हैं.
एक थे तुम,
एक था मै - एक थे हम !
तुम गए की दिल मेरा राह - राह हो गया. 
दिल तबाह हो गया... 

अनुपम 
(१९८८, बनारस )

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