मंगलवार, 24 मई 2011

एक अधूरा गीत ..


एक अधूरा गीत ..
मै जिए जा रहा हूँ अलग किस्म की तरह
देखा ही नहीं तुमको कभी जिस्म की तरह. 

तौला ही नहीं तुझको कभी मोल की तरह
दिल में सम्हाल रक्खा है अनमोल की तरह 
परखा ही नहीं तुमको कभी वक़्त की तरह
महसूस किया है हमेशा रक्त की तरह.

मै जिए जा रहा हूँ अलग किस्म की तरह..

1 टिप्पणी:

ekal !!! ek awaaz ने कहा…

bahut hi sundar rachana hai aaap ki jisame pavitrata kut kut ke bhari hai