सोमवार, 2 मई 2011

Bhojpur ई ह भोजपुर

ई ह भोजपुर के धनहा पवन बबुआ! दम भरी ल करेजा जुडा जाई
माटी के गमक से गमक जइबा ! जिन्दगी के हकीक़त बुझा जाई .

कतहूँ छाती भिडावेला पाहिले
 शान पट्टी देखावेला पहिले
ई उमड़ल जवानी के तूफ़ान ह आपन अंचरा सम्हार उधिया जाई.

अस्सी बरीस के तमकल जवानी 
बीर कुअंर सिंह भोजपुरिहा के कहानी 
ई फिरंगियन के पानी पिअवलस ई उ न ह जे चुहानी लुका जाई.

ई ह लोरिक भीखारी के धरती 
एकरा नस नस में रस कस दरदिया 
ई ह पौरूस आ प्रेम के कहानी तनिका छुअब त तार झान्ह्जना जाई.

प्रभु राम एइजा ज्ञान लेबे अइले 
विश्वामित्र जी के चेला कहइले 
विस्मिल्लाह के सुन के शहनाई तोहर तन मन के भेद बिसरा जाई.

इ तपस्या के धरती ह बबुआ 
तपसी चरनन से कन कन सनाइल 
आग चन्दन इ दुनो उगावे तनिका कोडब त पानी भेंटा जाई.


काहे लहकत बा खेतवा बधरवा 
काहें मइल बा माई के अंचरवा 
अपना मन के अंजोरिया जगाव भोरहरिये अन्हरिया ओऱा जाई.

गुरु श्याम जी के मान कहनवा
आपन मनवा सम्हार ए धनवा 
अपना धरती के नेह से निहार तोहर कोठिला कोठार जगमगा जाई.

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