रविवार, 29 जनवरी 2012

अपने हिमालय पर

 अपने हिमालय पर
                                                              अनुपम 
बातें बहुत ज्यादा हैं
मौन सही है.

हवा के एक झोंके से
बहुत पास आ गया था
अब 
अपने पास आ गया हूँ.

मेरे प्यार की इंटेंसिटी इतनी ज्यादा थी
कि 
एक ठंढे तार ने फ्यूज उदा दिए और 
अफ़सोस ये है कि 
मैंने प्यार कर सकने वाला दिल गवां दिया.

तुमने 
जितने हलके में मुझे लिया 
मै उतना हल्का नहीं था
मै भारी था
छूट गया
जमीन पर गिर गया 
मिटटी में मिल गया .

अब तुम दौड़ रही हो 
जब कि मै चला आया हूँ 
अपने हिमालय पर .  

कोई टिप्पणी नहीं: