शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

भूमंडलीकरण -( Globalization )

     भूमंडलीकरण
                                                       
    १.
एक जैसी इमारतें
एक जैसे कमरे
एक जैसे चेहरे
एक जैसी भाषा
एक जैसा अंदाजे-बयां

एक जैसी मौत
एक जैसी कब्र

यानि ऊब ही ऊब
बहुत खूब!
२.
भाषा से नफ़रत
शब्द से नफ़रत
शब्द में जीने वाले मन से नफ़रत
मन को रखने वाले तन से नफ़रत

'खांखर"  शब्द को क्यों रख दें आंग्ल में ?
उसे वहां भी क्यों न रहने दें - जहाँ है ?

पंछियों का बदलें भूगोल
बदल दें जलवायु !
सभी पेड़ एक ऊंचाई के
सभी फुल निर्गंध .
३.
हीक भार नरक के बाद
पीक भार स्वर्ग!
कमाल के दाता हो !
४.
चोरों ने तय किया - वे अपना संविधान बनायेंगे,
अपनी सहूलियत के लिए इस संसार में
वे अपना चोर -संसार बनायेंगे
उसकी अपनी नैतिकताएं होंगी
अपने आदर्श ; सबसे बढकर ये कि उसमें
जो नहीं होंगे चोर
उनके लिए भी काफी जगह होगी ....
५.
पहले थोडा गेहू डालो
चक्की चला दो
फिर थोडा कंकड़ डालो
चक्की चला दो
एक झक्कास पैकेट में बंद करो
बाजार में पंहुचा दो .
चक्की चलती रहेगी!
६.
खुश है लोग
लोकल ट्रेन में ठंसे हुये हैं ,
मगर खुश हैं!
पाओं तले रौदे जाने के बावजूद खुश हैं
तीसरी दुनियां के देशों में --
यह बात पसंद नहीं आती बुश को (उस को...)
कि अभी तक लोग खुश हैं...
७.
सवाल ये नहीं है कि पुरुष औरत को देह समझता है
औरत भी यही समझती है
और पुरूषो कि मिलीभगत से चल रहा है कारोबार ;
देह एक प्रोडक्ट -
एक प्रोडक्ट को बेचने के लिए देह --
देह साबुन ,देह तौलिया ,देह चादर ,
देह जूस, देह चॉकलेट, देह पेट्रोल, देह मिसाइल

देह ही देह से भरी है विश्व -बाजार कि फाइल !
८.
वे भविष्य में एक गोली दागेंगे
जिसकी आवाज वर्त्तमान में सुनाई देगी
और लहूलुहान होगा अतीत
फिर हमारे संग्रहालय ,पुस्तकालय  और सभी तरह के आलय
जिसमें हम अपना इतिहास रखते हैं -- जला दिए जायेंगे !
वहां लटका दी जाएँगी उनके नाम कि तख्तियां
हमारे हजारों साल के इतिहास को मेटकर वे अपना दो हजार साल का
इतिहास पढ़ाएंगे ; हमारी अगली पीढ़ियों को
आधुनिक बनायेंगे !
९.
पूरब के दिल में इस तरह एक सन्नाटा
फैल रहा है - जैसे पुराना बड़ा कमरा हो, जिसमें
बरसों से कोई नहीं रह रहा हो !

2 टिप्‍पणियां:

siddharth ने कहा…

thak kar aadmi khidki bund ker deta hai............raat bahar ki bahar hi rehti hai...under ki raat thodi thodi kut ti rehti hai...raat kat ta aadmi.. khidki ke is taraf.....

prabhat ranjan ने कहा…

आपकी छोटी छोटी कवितायेँ बड़ी चुटीली लगी.उनकी संवेदना भी समकालीन है. मुझे पहली और आखिरी कवितायेँ अच्छी लगी. आपकी कविताओं से पहला परिचय बहुत अच्छा रहा. आपकी भाषा और मुहावरेदारी भी हटकर लगी.
आशा है अपनी कविताओं से परिचित करवाते रहेंगे.