डर लगता है कि गुरुवार को दाढ़ी बनाऊंगा तो
गुरुग्रह नाराज हो जायेंगे
सोमवार को पिताजी बुरा मानेंगे :
मंगलवार को हनुमान जी
शनिवार को शनि देव !
सोचता हु दाढ़ी छोड़ दूँ इन देवताओं कि ख़ुशी के लिए;
हाँलाकि मुझे नहीं लगता कि आसमान के पीछे बैठकर
वे लोग यही सब देख रहे हैं ! ?
हमारे सामूहिक मन में डर के आदिम वायरस हैं,
जो हमारे बच्चों तक आसानी से चले जाते हैं .
2 टिप्पणियां:
Sach kaha aapne....
mujhe khud daadhi banaye 2 hafte ho gaye...
padhai se fursat hi nahin milti...
aaj zaraa sa mauka mila to yaad aaya ki aaj to tuesday hai.. :P :P
baba type shakal ho gayi hai.. lekin kya kare vahi darr.. :)
Ritu Mishra
August 18, 2010 at 5:31pm
anupam ji,
aapki kavita padhi,aapki tarah hi suljhi hui aur majboot hai. keep it bhaiya ....... sarjana aur sumita ji kaisi hai mera hello boliyega.
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