स्टार?
"मुझे लगता है कि स्टार में एक स्टाईल होनी चाहिए जो मेरे पास नहीं है। स्टार तो सलमान, शाहरुख़ और संजय दत्त हैं। उनके आते ही लगता है कि स्टार आया! मुझे भी लगता है।" अद्भुत प्यारी हंसी के साथ कहा आमिर खान ने और आगे जोड़ा - 'मैं तो छुपते- छुपाते आता हूँ .' और जोरदार ठहाका लगाया।
आमिर खुद को अलग हटकर देख सकते हैं। आमिर कवियों की तरह संवेदनशील है, किसी पत्रकार की तरह तेज और प्रतिबद्ध हैं। एक आम भारतीय लड़के की तरह अपने देश और घर से उनका जुड़ाव उन्हें सहज ही आम और खास सबके बीच सर्वाधिक प्रतिष्ठित सितारा बना देता है।
आमिर खान ने एक संस्मरण सुनाया - " फरहान अख्तर 2 साल बाद जब 'दिल चाह्ता है' की स्क्रिप्ट सुनाने आये तो वह काफी बदल चुकी थी।मैंने उनसे पहली स्क्रिप्ट मंगवाई। उसको सुना। फरहान भी मेरे साथ ही आश्चर्य चकित थे कि दूसरे ड्राफ्ट में इतना चेंज कैसे आ गया ? दरअसल थोड़ा थोड़ा कर के उन्होंने बदल होगा, रोज एक एक चीज बदलती गई और .... तो ऐसा भी होता है। "
आपकी अदालत में रजत शर्मा और आमिर खान की बातचीत मेरे लिए एक यादगार अनुभव है। आमिर के अनुभव से बहुत सी बातें मैंने सीखीं और खास बात ये सीखी कि स्क्रिप्ट की पहली स्टोरी लाइन को ही मुख्य मानाना चाहिए। मैंने अपनी एक स्क्रिप्ट के कई ड्राफ्ट पढ़कर इसको सच पाया। अगर बदलने लगे तो कहानी बदल जाएगी। फिर अच्छी या बुरी वह दूसरी कहानी होगी।
है न सीखने वाली बात एक सर्वाधिक सक्षम फिल्म कलाकार से!
थैंक यू आमिर खान !
डॉ। अनुपम
2 टिप्पणियां:
थैंकू यू अनुपम जी.............
Swagat hai Aapko bhi Dhanyvaad .
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