शून्य में से शून्य निकालो तो शून्य बचता है, शून्य में शून्य डालो तो शून्य बचता है ... तो क्या चोरी या सीनाजोरी ? चुराने दीजिये चुराने वालों को. लेखन, सिनेमा, चित्र या कलाकर्म का आधारभूत उद्देश्य अपने और दूसरे की संवेदनाओं का विकास है. लिखना और सुनना और गुनना चलते रहना चाहिए! महत्वाकांक्षी लोग ही चोरी करते हैं, महत के आकांक्षी आगे बढ़ते हैं.
एक और सृजनात्मक दिन के लिए शुभकामनाएं !
रविवार, 17 अक्टूबर 2010
सदस्यता लें
संदेश (Atom)