बसंत में नखरे
१. अनुपम
तुमने नखरा दिखाया
मेरा जी उचट गया
तुमसे तो नहीं
जिंदगानी से
जो तुम हो मेरे लिए ;
तुम लगी जिंदगी सी
तुमसे मिला तो जैसे जिंदगी मिली,
तो
तुमने जो नखरा दिखाया
मैने नहीं देखा.
२.
यह सप्रयास है
भाषा है
झूठ है
प्यार इसी क्षण है
तुम हो
मै हूँ
खुशियाँ है
तो
व्रण भी हैं .
विश्राम है तो रण भी है,
अदाएं हैं तो पिचकारियों में रंग हैं.
तुम नखरे दिखाओ
मै बसंत बनूँगा .
1 टिप्पणी:
natkhat panktiyan...
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