1.
कुहासे से
उसने कहा -
मेरी आँखों कल इए एक खूबसूरत शब्द दो .
कई गुलाबी शब्द
मेरी तर्जनी से लिपट गए
कुछ भर गए उसकी अंकों में .
कुहासे से
उसकी पलकों पर लिखा - छल
छल .........छल .
इस तरह मैंने अपना
सबसे सुंदर सपना
उसकी
आँखों में आँज दिया .
2.
क्षण
क्षण मुग्धता की सीमा में बाँधते हैं
मै धीरे से
कन्धों से उनकी बाहें हटाता हूँ
चल देता हूँ
वे निशाना साधते हैं
आमंत्रित करता हूँ
बल देता हूँ
हारता नहीं
छल देता हूँ.
क्षण मुग्धता की सीमा में बाँधते हैं
मै धीरे से
कन्धों से उनकी बाहें हटाता हूँ
चल देता हूँ
वे निशाना साधते हैं
आमंत्रित करता हूँ
बल देता हूँ
हारता नहीं
छल देता हूँ.
अनुपम ( जलतरंगों की आत्मकथा, किताबघर, १९९२ )
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