अब तुम खुश हो न ?
अनुपम
यह सही है की तुम इश्तेमाल हो गई किसी के द्वारा
यह सही है की तुम इश्तेमाल हो गई किसी के द्वारा
लेकिन मेरे लिए बहुत सही हुआ ;
(तुम्हारा दिमाग दूसरे के विचार
और जुबान दूसरे के शब्द ढो रहे थे )
मै लौट गया अपनी सीप में
जो मेरा घर है
और ठंढी, निष्प्रभ आँखों से
इस जगत का आकलन करते हुए मैंने पाया कि
मोती बनाना मै भूलने लगा था
जिसे तुम्हारी जरा सी चोट ने हरा कर दिया.
(बाहर तेज धूप थी
और फूल थे
मगर तुम न थी )
अब
मुझसे अधिक ठंढा आदमी
नहीं मिलेगा कहीं.
अब तुम खुश हो न ?
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