ग़ज़ल
थोड़ा हिसाब में मै आया, अच्छा हुआ
थोड़ा हिसाब में मै आया, अच्छा हुआ
मेरी किताब में वो आया, अच्छा हुआ.
कभी तो आना ही था उसको मेरे पास
मेरे ख़राब में वो आया, अच्छा हुआ.
मै उसे गंगाजल समझ के पी गया
मेरी शराब में वो आया, अच्छा हुआ.
बड़ी तलाश थी स्वरकार को आकार की
वो एक साज हो के आया, अच्छा हुआ.
उसके आने में कोई खास बात है अनुपम
वो खासमखास हो के आया, अच्छा हुआ.
अनुपम
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