कवि निर्देशक की डायरी २१
मूर्ख-भक्षक की पीड़ा
डॉ. अनुपम
बहुत तकलीफ हो गई है. सूचना क्रांति ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है. मुझे कई कई दिन भूखा रहना पड़ता है. मुझे मूर्ख नहीं मिलते. मूर्ख सूचनाओं के पीछे छुप जाते हैं. वे शेरो, शाइरी, राजनितिक खबरें, फिल्म, साहित्य से लैस हो कर निकलते हैं . मै जबतक समझूँ की ये मूर्ख है, तबतक वह मुझे मूर्ख भक्षक जानकर सूचना के जंगल में भाग छुपा होता है. सामान्यतया हर मूर्ख अपने आप को ढंकना जानता है.
मुझे भूखा रहना पड़ रहा है. दिखें तो सूचना दीजियेगा...
मूर्ख-भक्षक की पीड़ा
डॉ. अनुपम
बहुत तकलीफ हो गई है. सूचना क्रांति ने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है. मुझे कई कई दिन भूखा रहना पड़ता है. मुझे मूर्ख नहीं मिलते. मूर्ख सूचनाओं के पीछे छुप जाते हैं. वे शेरो, शाइरी, राजनितिक खबरें, फिल्म, साहित्य से लैस हो कर निकलते हैं . मै जबतक समझूँ की ये मूर्ख है, तबतक वह मुझे मूर्ख भक्षक जानकर सूचना के जंगल में भाग छुपा होता है. सामान्यतया हर मूर्ख अपने आप को ढंकना जानता है.
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