अज्ञेय की एक कविता
शोषक भैया
शोषक भैया !
पी लो
मेरा रक्त मीठा है,
ताज़ा है,
सुहृद है
पी लो शोषक भैया
मै कुछ न कहूँगा
पी लो,
लेकिन तुम अपना मेदा देखो
क्योंकि उसका क्या करोगे
कि तुम्हारा और मेरा जो सम्बन्ध है
वही तुम्हारा काल है.
शोषक भैया
शोषक भैया !
पी लो
मेरा रक्त मीठा है,
ताज़ा है,
सुहृद है
पी लो शोषक भैया
मै कुछ न कहूँगा
पी लो,
लेकिन तुम अपना मेदा देखो
क्योंकि उसका क्या करोगे
कि तुम्हारा और मेरा जो सम्बन्ध है
वही तुम्हारा काल है.
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