बारिश में
जाल खोलते हैं मछुआरे
पाल खोलते हैं मछुआरे
पहली मछली की तड़पन से साल खोलते है मछुआरे !
बीज ढो रहे हैं बनिहारे
बीज बो रहे है बनिहारे
इस मौसम में किस मौसम के बीज हो रहे हैं बनिहारे ?
घास गढ़ रहे हैं घसियारे
घास पढ़ रहे हैं घसियारे
बरसा से सरसी धरती कि साँस पढ़ रहे है घसियारे .....
पाल खोलते हैं मछुआरे .
आ रहे है खेलकर फुटबॉल बारिश मेंबादलों की उड़ रही गुलाल बारिश में .
दिल के तट को छू रही तेरी दुआएं है
तेरे रंग की ओढ़ ली रुमाल बारिश में .
तेरे रंग की ओढ़ ली रुमाल बारिश में .
गरजते है तब बहुत कठोर लगते हैं
बरसते है तो बजे हैं ताल बारिश में .
ये मिलन धरती गगन का गजब है, यारो !
हम भी भीगेंगे इस साल बारिश में .
पाओस आल ..
जाल खोलते हैं मछुआरे
पाल खोलते हैं मछुआरे
पहली मछली की तड़पन से साल खोलते है मछुआरे !
बीज ढो रहे हैं बनिहारे
बीज बो रहे है बनिहारे
इस मौसम में किस मौसम के बीज हो रहे हैं बनिहारे ?
घास गढ़ रहे हैं घसियारे
घास पढ़ रहे हैं घसियारे
बरसा से सरसी धरती कि साँस पढ़ रहे है घसियारे .....
पाल खोलते हैं मछुआरे .
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